- समानार्थी शब्द :
- चव = रुची, गोडी
- चरण = पाय, पाऊल
- चरितार्थ = उदरनिर्वाह
- चक्र = चाक
- चऱ्हाट = दोरखंड
- चाक = चक्र
- चंद्र = शशी, रजनीनाथ, इंदू
- चिंता = काळजी
- चिडीचूप = शांत
- चिमुरडी = लहान
- चूक = दोष
- चेहरा = मुख
- चौकशी = विचारपूस
- छंद = नाद, आवड
- छान = सुरेख, सुंदर
- छिद्र = भोक
- जग = दुनिया, विश्व
- जत्रा = मेळा
- जन = लोक, जनता
- जमीन = भूमी, धरती, भुई
- जंगल = रान
- जीव = प्राण
- जीवन = आयुष्य, हयात
- जुलूम = अत्याचार, छळ, बळजोरी, अन्याय
- झाड = वृक्ष, तरू
- झोपडी = कुटीर, खोप
- झोप = निद्रा
- झोका = झुला
- झेंडा = ध्वज, निशाण
- ठग = चोर
- ठिकाण = स्थान
- डोके = मस्तक, शीर्ष, शीर
- डोळा = नेत्र, नयन, लोचन
- डोंगर = पर्वत, गिरी
- ढग = मेघ, जलद, पयोधर, अभ्र
- ॠण = कर्ज
- तक्रार = गाऱ्हाणे
- तळे = तलाव, सरोवर, तडाग
- त्वचा = कातडी
- तारण = रक्षण
- ताल = ठेका
- तुरंग = कैदखाना, बंदिवास
- तुलना = साम्य
- थट्टा = मस्करी, चेष्टा
- थवा = समूह
- थोबाड = गालपट
- दगड = पाषाण, खडक
- दरवाजा = दार, कवाड
- दाम = पैसा
- दृश्य = देखावा
- दृढता = मजबुती
- दिवस = दिन, वार, वासर
- दिवा = दीप, दीपक
- दूध = दुग्ध, पय
- द्वेष = मत्सर, हेवा
- देव = ईश्वर, विधाता
- देश = राष्ट्र
- देखावा = दृश्य
- दार = दरवाजा
- दारिद्र्य = गरिबी
- दौलत = संपत्ती, धन
- धरती = भूमी, धरणी
- ध्वनी = आवाज, रव
- नदी = सरिता
- नजर = दृष्टी
- नक्कल = प्रतिकृती
- नमस्कार = वंदन, नमन
- नातेवाईक = नातलग
- नाच = नृत्य
- निश्चय = निर्धार
- निर्धार = निश्चय
- निर्मळ = स्वच्छ
- नियम = पद्धत
- निष्ठा = श्रद्धा
- नृत्य = नाच
- नोकर = सेवक
- 🦋समग्र मराठी व्याकरण 🦋
- अनाथ = पोरका
- अनर्थ = संकट
- अपघात = दुर्घटना
- अपेक्षाभंग = हिरमोड
- अभिवादन = नमस्कार, वंदन, प्रणाम
- अभिनंदन = गौरव
- अभिमान = गर्व
- अभिनेता = नट
- अरण्य = वन, जंगल, कानन
- अवघड = कठीण
- अवचित = एकदम
- अवर्षण = दुष्काळ
- अविरत = सतत, अखंड
- अडचण = समस्या
- अभ्यास = सराव
- अन्न = आहार, खाद्य
- अग्नी = आग
- अचल = शांत, स्थिर
- अचंबा = आश्चर्य, नवल
- अतिथी = पाहुणा
- अत्याचार = अन्याय
- अपराध = गुन्हा, दोष
- अपमान = मानभंग
- अपाय = इजा
- अश्रू = आसू
- अंबर = वस्त्र
- अमृत = पीयूष
- अहंकार = गर्व
- अंक = आकडा
- आई = माता, माय, जननी, माउली
- आकाश = आभाळ, गगन, नभ, अंबर
- आठवण = स्मरण, स्मृती, सय
- आठवडा = सप्ताह
- आनंद = हर्ष
- आजारी = पीडित, रोगी
- आयुष्य = जीवन, हयात
- आतुरता = उत्सुकता
- आरोपी = गुन्हेगार, अपराधी
- आश्चर्य = नवल, अचंबा
- आसन = बैठक
- आदर = मान
- आवाज = ध्वनी, रव
- आज्ञा = आदेश, हुकूम
- आपुलकी = जवळीकता
- आपत्ती = संकट
- आरसा = दर्पण
- आरंभ = सुरवात
- आशा = इच्छा
- आस = मनीषा
- आसक्ती = लोभ
- आशीर्वाद = शुभचिंतन
- इलाज = उपाय
- इशारा = सूचना
- इंद्र = सुरेंद्र
- इहलोक = मृत्युलोक
- ईर्षा = चुरस
- उत्सव = समारंभ, सण, सोहळा
- उक्ती = वचन
- उशीर = विलंब
- उणीव = कमतरता
- उपवन = बगीचा
- उदर = पोट
- उदास = खिन्न
- उत्कर्ष = भरभराट
- उपद्रव = त्रास
- उपेक्षा = हेळसांड
- ऊर्जा = शक्ती
- ॠण = कर्ज
- ॠतू = मोसम
- एकजूट = एकी, ऐक्य
- ऐश्वर्य = वैभव
- ऐट = रुबाब, डौल
- ओझे = वजन, भार
- ओढा = झरा, नाला
- ओळख = परिचय
- औक्षण = ओवाळणे
- अंत = शेवट
- अंग = शरीर
- अंघोळ = स्नान
- अंधार = काळोख, तिमिर
- अंगण = आवार
- अंगार = निखारा
- अंतरिक्ष = अवकाश
- कथा = गोष्ट, कहाणी, हकिकत
- कठीण = अवघड
- कविता = काव्य, पद्य
- करमणूक = मनोरंजन
- कठोर = निर्दय
- कनक = सोने
- कटी = कंबर
- कमळ = पंकज
- कपाळ = ललाट
- कष्ट = श्रम, मेहनत
- कंजूष = कृपण
- काम = कार्य, काज
- काठ = किनारा, तीर, तट
- काळ = समय, वेळ, अवधी
- कान = श्रवण
- कावळा = काक
- काष्ठ = लाकूड
- किल्ला = गड, दुर्ग
- किमया = जादू
- कार्य = काम
- कारागृह = कैदखाना, तुरुंग
- कीर्ती = प्रसिद्धी, लौकिक, ख्याती
- कुतूहल = उत्सुकता
- कुटुंब = परिवार
- कुशल = हुशार, तरबेज
- कुत्रा = श्वान
- कुटी = झोपडी
- कुचंबणा = घुसमट
- कृपण = कंजूष
- कृश = हडकुळा
- कोवळीक = कोमलता
- कोठार = भांडार
- कोळिष्टक = जळमट
- खण = कप्पा
- खडक = मोठा दगड, पाषाण
- खटाटोप = प्रयत्न
- खग = पक्षी
- खड्ग = तलवार
- खरेपणा = न्यायनीती
- ख्याती = कीर्ती, प्रसिद्धी, लौकिक
- खात्री = विश्वास
- खाली जाणे = अधोगती
- खिडकी = गवाक्ष
- खेडे = गाव, ग्राम
- खोड्या = चेष्टा, मस्करी
- गरज = आवश्यकता
- गवत = तृण
- गर्व = अहंकार
- गाय = धेनू, गोमाता
- गाणे = गीत, गान
- गंमत = मौज, मजा
- गंध = वास, दरवळ
- ग्रंथ = पुस्तक
- गाव = ग्राम, खेडे
- गुन्हा = अपराध
- गुलामी = दास्य
- गोड = मधुर
- गोणी = पोते
- गोष्ट = कहाणी, कथा
- गौरव = सन्मान
- ग्राहक = गिऱ्हाईक
- घर = सदन, गृह, निकेतन, आलय
- घरटे = खोपा
- घागर = घडा, मडके
- घोडा = अश्व, हय, वारू
- समानार्थी शब्द :
- परिश्रम = कष्ट, मेहनत
- पती = नवरा, वर
- पत्र = टपाल
- पहाट = उषा
- परीक्षा = कसोटी
- पर्वा = चिंता, काळजी
- पर्वत = डोंगर, गिरी, अचल
- पक्षी = पाखरू, खग, विहंग
- प्रकाश = उजेड
- प्रवास = सफर, फेरफटका, पर्यटन
- प्रवासी = वाटसरू
- प्रजा = लोक
- प्रत - नक्कल
- प्रदेश = प्रांत
- प्रवास = यात्रा
- प्राण = जीव
- पान = पत्र, पत्ता
- प्रासाद = वाडा
- पाखरू = पक्षी
- पाऊल = पाय, चरण
- पाऊलवाट = पायवाट
- प्रार्थना = स्तवन
- प्रामाणिकपणा = इमानदारी
- प्रारंभ = सुरुवात, आरंभ
- प्रेम = प्रीती, माया, जिव्हाळा
- प्रोत्साहन = उत्तेजन
- पाऊस = वर्षा, पर्जन्य
- पाणी = जल, नीर, तोय, उदक
- पिशवी = थैली
- पुस्तक = ग्रंथ
- पुतळा = प्रतिमा, बाहुले
- पुरातन = प्राचीन
- पृथ्वी = धरणी, जमीन, वसुंधरा, वसुधा
- फलक = फळा
- फांदी शाखा
- फूल = पुष्प, सुमन, कुसुम
- बदल = फेरफार, कलाटणी
- बर्फ = हिम
- बहीण = भगिनी
- बक्षीस = पारितोषिक, पुरस्कार
- बाग = बगीचा, उद्यान, वाटिका
- बासरी = पावा
- बेत = योजना
- बाळ = बालक
- बाप = पिता, वडील, जनक
- बादशाहा = सम्राट
- बुद्धी = मती
- ब्रीद = बाणा
- भरवसा = विश्वास
- भरारी = झेप, उड्डाण
- भव्य = टोलेजंग
- भाट = स्तुतिपाठक
- भारती = भाषा, वैखरी
- भांडण = तंटा
- भाळ = कपाळ
- भाऊ = बंधू, सहोदर
- भेसळ = मिलावट
- भेदभाव = फरक
- भोजन = जेवण
- मदत = साहाय्य
- ममता = माया, जिव्हाळा, वात्सल्य
- मन = चित्त, अंतःकरण
- मजूर = कामगार
- महिना = मास
- महिला = स्त्री, बाई, ललना
- मजूर = कामगार
- मस्तक = डोके, शीर, माथा
- मानवता = माणुसकी
- मान = गळा
- मंगल = पवित्र
- मंदिर = देऊळ, देवालय
- मार्ग = रस्ता, वाट
- म्होरक्या = पुढारी, नेता
- मित्र = दोस्त, सोबती, सखा, सवंगडी
- मिष्टान्न = गोडधोड
- मुलगा = पुत्र, सुत, तनय
- मुलगी = कन्या, तनया
- मुद्रा = चेहरा, मुख, तोंड, वदन
- मुख = तोंड, चेहरा
- मुलुख = प्रदेश, प्रांत, परगणा
- मेहनत = कष्ट, श्रम, परिश्रम
- मैत्री = दोस्ती
- मौज = मजा, गंमत
- यश = सफलता
- युक्ती = विचार, शक्कल
- युद्ध = लढाई, संग्राम, लढा, समर
- योद्धा = लढवय्या
- रक्त = रुधिर
- रणांगण = रणभूमी, समरांगण
- र्हास = हानी
- राग = क्रोध, संताप, चीड
- राजा = नरेश, नृप
- राष्ट्र = देश
- रांग = ओळ
- रात्र = निशा, रजनी, यामिनी
- रान = वन, जंगल, अरण्य, कानन
- रूप = सौंदर्य
- रुबाब = ऐट, तोरा
- रेखीव = सुंदर, सुबक
- लग्न = विवाह, परिणय
- लाट = लहर
- लाज = शरम,
- लोभ = हाव
- वस्त्र = कपडा
- वारा = वात, पवन, अनिल, मारुत, समीर, वायू
- वाट = मार्ग, रस्ता
- वाद्य = वाजप
- वातावरण = रागरंग
- वेग = गती
- वेळ = समय, प्रहर
- वेळू = बांबू
- वेश = सोशाख
- वेदना = यातना
- विश्रांती = विसावा, आराम
- वितरण = वाटप, वाटणी
- विद्या = ज्ञान
- विनंती = विनवणी
- विरोध = प्रतिकार, विसंगती
- विसावा = विश्रांती, आराम
- विश्व = जग, दुनिया
- वीज = विद्युर, सौदामिनी
- वृत्ती = स्वभाव
- वृद्ध = म्हातारा
- वैराण = ओसाड, भकास, उजाड
- वैरी = शत्रू, दुष्मन
- वैषम्य = विषाद
- व्यवसाय = धंदा
- व्याख्यान = भाषण
- शरीर = देह, तनू, काया, कुडी, अंग
- शक्ती = सामर्थ्य, जोर, बळ
- शर्यत = स्पर्धा, होड, चुरस
- शहर = नगर
- शंकर = चंद्रचूड
- श्वापद = जनावर
- शास्त्रज्ञ = वैज्ञानिक
- शाळा = विद्यालय
- शाळुंका = शिविलिंग
- शेत =
- शिवार, वावर, क्षेत्र
- शिवार = शेत, वावर
- शीण = थकवा
- शील = चारित्र्य
- शीतल = थंड, गार
- शिक्षा = दंड, शासन
- श्रम = कष्ट, मेहनत
- सकाळ = प्रभात, उष:काल
- सचोटी = खरेपणा
- सफाई = स्वच्छता
- सवलत = सूट
- सजा = शिक्षा
- सन्मान = आदर
- संकट = आपत्ती
- संधी = मोका
- संत = सज्जन, साधू
- संपत्ती = धन, दौलत, संपदा
- सायंकाळ = संध्याकाळ
- सावली = छाया
- साथी = सोबती, मित्र, दोस्त, सखा
- स्तुती = प्रशंसा
- स्पर्धा = चुरस, शर्यत, होड, पैज
- स्थान = ठिकाण, वास, ठाव
- स्त्री = बाई, महिला, ललना
- संध्याकाळ = सायंकाळ, सांज
- स्फूर्ती = प्रेरणा
- स्वच्छता = झाडलोट
- सुवास = सुगंध, परिमल, दरवळ
- सुंदर = सुरेख, रमणीय, मनोहर, छान
- सागर = समुद्र, सिंधू, रत्नाकर, जलधी
- सावली = छाया
- सामर्थ्य = शक्ती, बळ
- साहित्य = लिखाण
- सेवा = शुश्रूषा
- सिनेमा = चित्रपट, बोलपट
- सिंह = केसरी, मृगराज, वनराज
- सुविधा = सोय
- सुगंध = सुवास, परिमळ, दरवळ
- सूत = धागा, दोरा
- सूर = स्वर
- सूर्य = रवी, भास्कर, दिनकर, सविता
- सोने = सुवर्ण, कांचन, हेम
- सोहळा = समारंभ
- हद्द = सीमा, शीव
- हल्ला = चढाई
- हळू चालणे = मंदगती
- हकिकत = गोष्ट, कहाणी, कथा
- हात = हस्त, कर, बाहू
- हाक = साद
- हित = कल्याण
- हिंमत = धैर्य
- हुकूमत = अधिकार
- हुरूप = उत्साह
- हुबेहूब = तंतोतंत
- हेका = हट्ट, आग्रह
- क्षमा = माफी
- ☑️अध्याक्षर अ पासून समानार्थी शब्द☑️
- अनाथ = पोरका
- अनर्थ = संकट
- अपघात = दुर्घटना
- अपेक्षाभंग = हिरमोड
- अभिवादन = नमस्कार, वंदन, प्रणाम
- अभिनंदन = गौरव
- अभिमान = गर्व
- अभिनेता = नट
- अरण्य = वन, जंगल, कानन
- अवघड = कठीण
- अवचित = एकदम
- अवर्षण = दुष्काळ
- अविरत = सतत, अखंड
- अडचण = समस्या
- अभ्यास = सराव
- अन्न = आहार, खाद्य
- अग्नी = आग
- अचल = शांत, स्थिर
- अचंबा = आश्चर्य, नवल
- अतिथी = पाहुणा
- अत्याचार = अन्याय
- अपराध = गुन्हा, दोष
- अपमान = मानभंग
- अपाय = इजा
- अश्रू = आसू
- अंबर = वस्त्र
- अमृत = पीयूष
- अहंकार = गर्व
- अंक = आकडा
- *समानार्थी शब्द- :--
- कथा = गोष्ट, कहाणी, हकिकत
- कठीण = अवघड
- कविता = काव्य, पद्य
- करमणूक = मनोरंजन
- कठोर = निर्दय
- कनक = सोने
- कटी = कंबर
- कमळ = पंकज, अंबुज, नलिनी, अळत, पद्म, सरोज, अंभोज, अरविंद, राजीव, अब्ज
- कपाळ = ललाट, भाल, कपोल, निढळ, अलिक
- कष्ट = श्रम, मेहनत
- कंजूष = कृपण
- काम = कार्य, काज
- काठ = किनारा, तीर, तट
- काळ = समय, वेळ, अवधी
- कान = श्रवण
- कावळा = काक, एकाक्ष, वायस
- कालांतराने = दिसामासा
- काष्ठ = लाकूड
- कासव = कूर्म, कामट, कमठ, कच्छप, कच्छ
- किल्ला = गड, दुर्ग
- किमया = जादू
- कार्य = काम
- कार्यक्षम = कुशल, दक्ष, निपुण, हुशार
- कारागृह = कैदखाना, तुरुंग
- कीर्ती = प्रसिद्धी, लौकिक, ख्याती
- कुतूहल = उत्सुकता
- कुटुंब = परिवार
- कुशल = हुशार, तरबेज
- कुत्रा = श्वान
- कुटी = झोपडी
- कुचंबणा = घुसमट
- कृपण = कंजूष
- कृश = हडकुळा
- कोवळीक = कोमलता
- कोठार = भांडार
- कोळिष्टक = जळमट
- खण = कप्पा
- खल = नीच, दुष्ट, दुर्जन
- खडक = मोठा दगड, पाषाण
- खटाटोप = प्रयत्न
- खग = पक्षी, विहंग, व्दिज, अंडज, शकुन्त
- खड्ग = तलवार
- खरेपणा = न्यायनीती
- ख्याती = कीर्ती, प्रसिद्धी, लौकिक
- खात्री = विश्वास
- खाली जाणे = अधोगती
- खाटा करणे = आंबवणे
- खिडकी = गवाक्ष
- खेडे = गाव, ग्राम
- खोड्या = चेष्टा, मस्करी
- समानार्थी शब्द
- अनाथ = पोरका
- अनर्थ = संकट
- अपघात = दुर्घटना
- अपेक्षाभंग = हिरमोड
- अभिवादन = नमस्कार, वंदन, प्रणाम
- अभिनंदन = गौरव
- अभिमान = गर्व
- अभिनेता = नट
- अरण्य = वन, जंगल, कानन
- अवघड = कठीण
- अवचित = एकदम
- अवर्षण = दुष्काळ
- अविरत = सतत, अखंड
- अडचण = समस्या
- अभ्यास = सराव
- अन्न = आहार, खाद्य
- अग्नी = आग
- अचल = शांत, स्थिर
- अचंबा = आश्चर्य, नवल
- अतिथी = पाहुणा
- अत्याचार = अन्याय
- अपराध = गुन्हा, दोष
- अपमान = मानभंग
- अपाय = इजा
- अश्रू = आसू
- अंबर = वस्त्र
- अमृत = पीयूष
- अहंकार = गर्व
- अंक = आकडा
- आई = माता, माय, जननी, माउली
- आकाश = आभाळ, गगन, नभ, अंबर
- आठवण = स्मरण, स्मृती, सय
- आठवडा = सप्ताह
- आनंद = हर्ष
- आजारी = पीडित, रोगी
- आयुष्य = जीवन, हयात
- आतुरता = उत्सुकता
- आरोपी = गुन्हेगार, अपराधी
- आश्चर्य = नवल, अचंबा
- आसन = बैठक
- आदर = मान
- आवाज = ध्वनी, रव
- आज्ञा = आदेश, हुकूम
- आपुलकी = जवळीकता
- आपत्ती = संकट
- आरसा = दर्पण
- आरंभ = सुरवात
- आशा = इच्छा
- आस = मनीषा
- आसक्ती = लोभ
- आशीर्वाद = शुभचिंतन
- इलाज = उपाय
- इशारा = सूचना
- इंद्र = सुरेंद्र
- इहलोक = मृत्युलोक
- ईर्षा = चुरस
- उत्सव = समारंभ, सण, सोहळा
- उक्ती = वचन
- उशीर = विलंब
- उणीव = कमतरता
- उपवन = बगीचा
- उदर = पोट
- उदास = खिन्न
- उत्कर्ष = भरभराट
- उपद्रव = त्रास
- उपेक्षा = हेळसांड
- ऊर्जा = शक्ती
- ॠण = कर्ज
- ॠतू = मोसम
- एकजूट = एकी, ऐक्य
- ऐश्वर्य = वैभव
- ऐट = रुबाब, डौल
- ओझे = वजन, भार
- ओढा = झरा, नाला
- ओळख = परिचय
- औक्षण = ओवाळणे
- अंत = शेवट
- अंग = शरीर
- अंघोळ = स्नान
- अंधार = काळोख, तिमिर
- अंगण = आवार
- अंगार = निखारा
- अंतरिक्ष = अवकाश
- कथा = गोष्ट, कहाणी, हकिकत
- कठीण = अवघड
- कविता = काव्य, पद्य
- करमणूक = मनोरंजन
- कठोर = निर्दय
- कनक = सोने
- कटी = कंबर
- कमळ = पंकज
- कपाळ = ललाट
- कष्ट = श्रम, मेहनत
- कंजूष = कृपण
- काम = कार्य, काज
- काठ = किनारा, तीर, तट
- काळ = समय, वेळ, अवधी
- कान = श्रवण
- कावळा = काक
- काष्ठ = लाकूड
- किल्ला = गड, दुर्ग
- किमया = जादू
- कार्य = काम
- कारागृह = कैदखाना, तुरुंग
- कीर्ती = प्रसिद्धी, लौकिक, ख्याती
- कुतूहल = उत्सुकता
- कुटुंब = परिवार
- कुशल = हुशार, तरबेज
- कुत्रा = श्वान
- कुटी = झोपडी
- कुचंबणा = घुसमट
- कृपण = कंजूष
- कृश = हडकुळा
- कोवळीक = कोमलता
- कोठार = भांडार
- कोळिष्टक = जळमट
- खण = कप्पा
- खडक = मोठा दगड, पाषाण
- खटाटोप = प्रयत्न
- खग = पक्षी
- खड्ग = तलवार
- खरेपणा = न्यायनीती
- ख्याती = कीर्ती, प्रसिद्धी, लौकिक
- खात्री = विश्वास
- खाली जाणे = अधोगती
- खिडकी = गवाक्ष
- खेडे = गाव, ग्राम
- खोड्या = चेष्टा, मस्करी
- गरज = आवश्यकता
- गवत = तृण
- गर्व = अहंकार
- गाय = धेनू, गोमाता
- गाणे = गीत, गान
- गंमत = मौज, मजा
- गंध = वास, दरवळ
- ग्रंथ = पुस्तक
- गाव = ग्राम, खेडे
- गुन्हा = अपराध
- गुलामी = दास्य
- गोड = मधुर
- गोणी = पोते
- गोष्ट = कहाणी, कथा
- गौरव = सन्मान
- ग्राहक = गिऱ्हाईक
- घर = सदन, गृह, निकेतन, आलय
- घरटे = खोपा
- घागर = घडा, मडके
- घोडा = अश्व, हय, वारू
- 🔸🔸*समानार्थी शब्द-भाग -:
- इशारा = सूचना
- इंद्र = सुरेंद्र, नाकेश, वसाव, सहस्त्राक्ष, वज्रपाणी, देवेंद्र
- इहलोक = मृत्युलोक
- ईर्षा = चुरस
- इच्छा = आकांक्षा, आस, मनीषा, स्पृहा, लिप्सा, अपेक्षा
- ईश्वर = देव, ईश, निर्जर, परमेश्वर, अलक्ष, सूर, विभूध, अलख, प्रभू, त्रिदश
- उत्सव = समारंभ, सण, सोहळा
- उक्ती = वचन
- उशीर = विलंब
- उणीव = कमतरता
- उपवन = बगीचा
- उदर = पोट
- उदास = खिन्न
- उत्कर्ष = भरभराट
- उपद्रव = त्रास
- उपेक्षा = हेळसांड
- उठावाची = उठायची
- ऊर्जा = शक्ती
- ॠण = कर्ज
- ॠतू = मोसम
- ऋषी = तपस्वी, मुनी, साधू, तापस
- एकजूट = एकी, ऐक्य
- ऐश्वर्य = वैभव
- ऐट = रुबाब,
पृष्ठे
- मुख्यपृष्ठ
- शामची आई- गोष्टी mp3
- स्वच्छतेची घोषवाक्य
- फळांची नावे (Flash cards)
- वाशिम जिल्हा
- बीड जिल्ह्याची भौगोलिक माहिती
- गणित क्लृप्त्या
- Opposit words
- शाळेतील मुलांसाठी बोध कथा - mp3
- विद्यार्थी फोटो
- सर्वात मोठे
- विविध शाळेतील ज्ञानरचनावादी फरशी स्टक्चरची छायाचीत्रे
- विभाज्यतेच्या कसोटय़ा
- म्हणी -६२४
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समानार्थी शब्द-मराठी
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